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Friday 24 May 2013

लुर्सन सिटी एक्सप्रेस ?

सुझाव: भोपाल बी.आर.टी.एस. कॉरिडोर पर चलने वाली बस का नया नाम ?

हिन्दुस्तान का धड़कता दिल है, मध्यप्रदेश। और उसका मुकुट बनने का मौका मिला भोपाल को। सबसे बढ़कर झीलों की नगरी भोपाल को। भारत का लुर्सन कहलाने का गौरव हांसिल है। तेज गति से दौड़ते विकास के इस दौर में। हमारी राजधानी भी अछूती नहीं है। हॉल ही के वर्षों में। इस शहर ने भी। विकास और सुंदरता के नये आयाम छुएं हैं। और अब। नवनिर्मित बी.आर.टी.एस. पर हर तीन मिनट में। सिटी परिवहन की सुविधा देकर। 

 सरकार। इस शहर के माथे पर नयी ऊंचाईयां लिखने जा रही है। कॉरिडोर पर चलने वाली इन बसों के नाम रखने को लेकर। नागरिकों से सुझाव मंगायें गये हैं। मैं । भोपाल कॉरिडोर पर चलने वाली इन बसों का नाम लुर्सन सिटी एक्सप्रेस रखने का सुझाव देना चाहूंगा। इसके पक्ष में मेरे 11 तर्क पेश है   :-
1.  लुर्सन विश्व का सबसे सुंदर शहरों में से एक  है। ये सिटी यहां पाये जाने तालाबों के कारण सुंदर और सुरम्य आकार लिए हुए है। ऊंची-नींची पहाड़ियों पर बसी झीलों की नगरी भोपाल को भी भारत का लुर्सन कहलाने का गौरव हांसिल है। 
   2. लुर्सन नाम हमारे शहर के तालाबों को बचाने और उनके संरक्षण के लिए हमें प्रेरणा देता रहेगा।
3.  ग्लोबल सिटी बनने की ओर कदम बढ़ाती हमारी भोपाल सिटी। लुर्सन नाम चर्चित होने के बाद। हमें भोपाल को लुर्सन के समान सुंदर, हराभरा, नियोजित, साफ सुथरा और अनुशासित शहर बनाने के संकल्प की हर पल याद दिलाता रहेगा।
     4.  मैने देश अनेक शहर देंखे। मगर मुझे कोई शहर नहीं भाया। बस अपना लुर्सन ही सबसे बेहतर लगा। शायद इसी कारण। आज भोपाल देश में सबसे पसंदीदा शहर बन गया है। इसी के चलते शहर में रियल स्टेट के दाम आसमान छू रहे है। हर कोई भोपाल में बसना चाहता है। 
           
5.  अन्य शहरों के तुलना में। राजधानी में लूटपाट, चोरी-चकाड़ी, जेब कतराई, यात्रियों को गुमराह करने वाली चिरकुटाई जैस दैनिक अपराध ना के बराबर है। जो हमारे शहर के व्यक्तित्व को सुंदर बनाते है।
6.  राजा भोज की सुंदर समृद्ध संस्कृति की अमिट छाप भी हमें पीढ़ी-दर पीढ़ी संस्कारों का मार्ग दिखाती रहेंगी। ज्ञान। जो सबसे सुंदर है। राजा भोज उसके सबसे उपासक थे। माँ सरस्वती, वागदेवी उनकी आराध्य थी। वहीं नवाबों की रियासत रहे। इस शहर पर मुगल कला के साथ-साथ। तहजीब का विशेष प्रभाव। आज भी शहर को एक अलग पहचान दे रहा है। बस यहीं भाई-चारे और आपसी मेलजोल की ये सुंदरता। हमें कोई सुंदर नाम रखने के लिए विवश करती है। और उचित भी है। क्योंकि सत्य ही सुंदर है। बाकी सब झूठा। और यहीं वो हमारी धरोहर है। जो निरंतर पर्यटकों को भोपाल आने के लिए लालायित करती रहेंगी।
 7.  लुर्सन नाम को पब्लिसिटी देकर। हम भोपाल के नागरिकों को। हमारे शहर को लुर्सन के समान सुंदर बनाने के लिए। संकल्प दिला सकते है। हर व्यक्ति को एक पौधा लगाकर। शहर को सुंदर बनाने की शपथ दिला सकते है। जनता के साथ सरकार को भी। प्लांटेशन के लिए। शहर में युद्ध स्तर पर एक अभियान चलाना चाहिये। इससे कॉरिडोर बनाते समय हुए। पेड़-पौधों के विनाश की पूर्ति भी होगी। क्योंकि शहर में कॉरिडोर तो बन गया। लेकिन हमारे शहर की। पहले वाली हरियाली गायब होने के बाद। शहर उजाड़-वावरा लग रहा है। हरियाली की पूर्ती और किसी के लिए नहीं। हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी है।
8.  सरकार। झीलों के शहर लुर्सन को सामने रख। विस्तारित हो रहे शहर में। नये तालाबों के बनाने का प्रोजेक्ट चलाने के लिए। प्रेरणा ले सकती है। इससे शहर सुंदर और रमणीय बनेगा।
9.  भोपाल के विकास। या सुंदरता की बात हो। और नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर का नाम। याद ना किया जाय तो। बेमानी सा लगता है। गौर साहब के। इस सुंदर शहर को। सुंदर बनाने के सुंदर सपने। और सुंदर प्रयास।

 नगर को पेरिस बनाने का। उनका सपना। और अब सुनने में आ रहा है। भोपाल को मेट्रो ट्रेन देकर ही गौर साहब राजनीति से सन्यास लेंगे। हमारे नगरीय प्रशासन मंत्री के। इन सुंदर विचारों को। सुंदर आकार देने के लिए। शहर के सुंदर परिवहन का नाम भी। सुंदर ही होना चाहिये। ऐसे में। राजधानी के बी.आर.टी.एस. पर दौड़ने वाली। इन बसों का नाम। लुर्सन सिटी एक्सप्रेस ही बेहतर रहेगा। जो हमारे शहर को सुंदर और सुरम्य बनाने के लिए। हर पल प्रेरित करता रहेगा। 
       10.    कहते है। एक जूनियर के लिए। उसके सीनियर के घर से अच्छा। कोई ट्रेनिंग सेंटर नहीं होता। शायद यही वो बात है। जो हमारे शहर की महापैर। श्रीमती कृष्णा गौर को प्रेरित करती है। महापौर कृष्णा गौर भी। विगत चार सालों से। शहर को सुंदर आकार देने में। कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। गौर साहब की भावी उत्तराधिकारी। कृष्णा गौर को भी। बी.आर.टी.एस. बसों का ये नाम। शहर को। लुर्सन सिटी की तरह सुंदर बनाने के लिए। आगे भी प्रेरित करता रहेगा।
      11.       सबसे बढ़कर। हमें इन बसों में चलने वाले यात्रियों के साथ। स्टाफ के द्वारा किये जाने वाला व्यवहार। भी सुंदर बनाकर। यहां आने वाले। रहने वाले। लोगों को एक सुंदर संदेश देना होगा। ताकि। शहर की तहजीब की चर्चा। दूसरे शहरों में हो।
 देखने में आया है। पहले जब पर्पल बसे नहीं थी। तब प्रायवेट बस वाले। यात्रियों से बहुत ज्यादा। बदतमीजी करते थे। लेकिन जैसे ही। ये लाल बसे आयी। प्रतिस्पर्धा बढ़ी। उनकी सवारी कम हुई। तो प्राइवेट बस वालों का व्यवहार। जनता से मधुर हो गया। अब इसका दूसरा दुखद पहलू सामने आया है। अब लाल बस वाले जनता से दुर्व्यवहार कर रहे है। यहां तक की। हाथ उठाने में भी देर नहीं लगाते। सुंदर संस्कारों के। इस शहर में। सभी के सम्मान की रक्षा भी सुंदर होना चाहिये।
( इदम् राष्ट्राय स्वा:, इदम् राष्ट्राय, इदम् न मम्)