टूटे हुए तारों से, फूटे बासंती स्वर ।
पत्थर की छाती में, उग आया नव अंकुर ।।
झरे सब पीले पात, कोयल की
कुहक रात ।
प्राची में अरूणिम की रेख,
देख पाता हूं ।।
गीत नया गाता हूं ..........
टूटे हुए सपनों की, कौन सुने सिसकी ।
अन्तर चीर व्यथा, पलकों पर ठिठकी ।।
हार नहीं मानूगा, रार नहीं ठानूंगा
।।
काल के कपाल पे, लिखता
मिटाता हूं ।
गीत नया गाता हूं .............
...... महान् चिंतक और कर्मदूत
माननीय अटल बिहारी
वाजपेयी