जाति, सम्प्रदाय, वर्ग, भाषा और क्षेत्रीयता के दायरे से बाहर आकर पहली बार किया मतदान
1.
जय हो मतदाता...... जय हो भारत........ जय हो नरेन्द्र मोदी.........!
2.
पूर्ण हुआ विश्व का
सबसे बड़ा लोकतंत्र
3.
वयस्क हुआ भारत का
मतदाता
4.
विश्व गुरू बनने की
ओर भारत ने बढ़ाया पहला कदम
2014 के लोकसभा के इन आम चुनावों के परिणामों से
आज देश का हर नागरिक रोमांचित है। वह अपने आपकों तरोताजा उत्साहित महसूस कर रहा
है। वो अपने सुखद भविष्य के प्रति आशा से लबरेज हो गया है। अब देश के हर नागरिक की
सुबह एक नई स्फूर्ति और आत्मबल से होगी। ये सब होगा। क्योंकि अब देश के पास होगा एक
प्रभावशाली नेतृत्व। किसी देश, संगठन, समाज या परिवार का नेतृत्व ही उसकी हर सुबह
को नई बनाता है। देशवासियों को नीरसता से उबारता है। स्थिर-सशक्त नेतृत्व में देश
का हर नागरिक स्वाभिमान महसूस करेगा। देश के लोकतंत्र को ऐसी ऐतिहासिक दिशा देने
के लिए जय हो मतदाता.......... ! जय हो भारत.......... ! जय हो नरेन्द्र
मोदी....... !
स्वतंत्रता के बाद से देश में सशक्त विपक्ष के
अभाव में भारत का लोकतंत्र एक पैर पर ही चलता रहा। स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए
चला जन आंदोलन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जब एक राजनीतिक पार्टी बना। तभी भारत के
लोकतंत्र का दुर्भाग्य लिख दिया था। जिसमें मौकापरस्त सामंतवादी लोगों ने कब्जा
जमा लिया। 1967 तक तो देश में कांग्रेस का एक छत्र राज्य रहा। 1951 में स्थापित
जनसंघ ने पहली बार कांग्रेस की अहितकारी नीतियों का विरोध करने का बीड़ा उठाया। गठबंधन
के तौर पर 1977 में जनता पार्टी और 1989 में राष्ट्रीय मोर्चा जैसी गैर कांग्रेसी
सरकार अवश्य बनी। लेकिन वो स्थिर नहीं रह पायी।
भारत का लोकतंत्र एक पैर पर लड़खड़ाता
रहा। लंबे संघर्ष के बाद वो समय भी आया जब 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व
में एन.डी.ए. की गठबंधन सरकार बनी। इस गैर कांग्रेसी सरकार ने भी जैसे-तैसे 6 साल
खींचे। अटल बिहारी वाजपेयी के चमत्कारिक लीडरशिप के बावजूद ये सरकार भी साथी दलों
के ब्लैकमैलिंग की शिकार होने से नहीं बच पायी। बहुमत के अभाव में अटल जी की एनडीए
सरकार की उपलब्धि भी देश को राजनीतिक अस्थिरता के दौर से बाहर निकालने तक ही सीमित
रही। 1947 में स्वतंत्रता के बाद के इन 66 सालों में 55 साल से अधिक समय तक तो
कांग्रेस के हाथ ही देश की बागडौर रही।
स्वतंत्रता के बाद पहली बार 2014 के इन
लोकसभा चुनावों में किसी एक पार्टी बीजेपी को मतदाताओं ने स्पष्ट बहुमत दिया है। और
बीजेपी के नेतृत्व वाले इस गठबंधन एनडीए को दो-तिहाई बहुमत के निकट पहुंचाकर भारत
के प्रजातंत्र को पूरा कर दिया। अब तक देश का लोकतंत्र एक सशक्त विपक्ष के अभाव
में कांग्रेस रूपी एक टांग पर ही चलता रहा। एक पूर्ण बहुमत वाले विपक्ष बीजेपी के
रूप में अब भारत के लोकतंत्र को दूसरा मजबूत पैर मिल गया है। स्वतंत्रता के बाद
भारत के लोकतंत्र को पूर्ण होने होने में 67 साल से अधिक समय लग गया। आज भारत का
लोकतंत्र पूर्ण हो गया।
इन सबके लिए कोई राजनीतिक दल जिम्मेवार नहीं
होकर। सीधे-सीधे देश के मतदाताओं को इसका श्रेय जाता है। जिसने पहली बार जाति,
सम्प्रदाय, वर्ग, भाषा और क्षेत्रीयता के संकुचित दायरे से बाहर निकलकर वोट किया।
वो अब अपने लिए विकास के मायने समझने लगा है। गुमराह करने वाली राजनीति के झांसे
में वो इस बार नहीं आया। जय हो मतदाता ........... ! ............धन्यवाद
मतदाता............ ! जय हो जनता जनार्दन........ ! जय हो भावी नमो
भारत........ !
इन चुनाव परिणामों ने इस बात के प्रमाण दे दिए
है कि अब भारत के मतदाता की मानसिक आयु परिक्व पूरी समझ वाली हो चुकी है। अब उसे
किसी भी आधार पर बहलाया-फुसलाया नहीं जा सकता। संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट
ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, ईटली जैस राजनीतिक रूप से विकसित देशों के मतदाताओं के
समान भारत के मतदाताओं ने भी मानसिक तौर पर परिपक्व आयु को प्राप्त कर लिए। अब वो
वयस्क हो गए है। बच्चे नहीं रहें। किसी देश के लिए यही वो स्थिति होती है जहां से
राजनीतिक सुधार की प्रक्रियां प्रारंभ होती है। देश का राजनीतिक ढांचा परिपक्वता की
ओर कदम बढ़ाता है। राजनीति दलों के मातहत ये काम नहीं होता।
राजनीतिक दलों में
श्रेय लेने की होड़ में अच्छे विषयों पर भी आम सहमति नहीं बन पाती है। दल विशेष तो
केवल राजनीतिक सुधार प्रक्रिया के माध्यम बनते है। किसी देश के मतदाता ही दल विशेष
को सुधारों के लिए अवसर देते है। प्रेरित करते हैं। मजबूर करते हैं। राजनीतिक बाधाओं
को दूर करते हैं। इससे राजनीतिक दल अपने भावी अस्तित्व को बनाये रखने जन इच्छा को
आकार देते हैं। इसका शानदार प्रमाण उत्तरप्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र जैसे बड़े
राज्यों के मतदाताओं ने इन चुनावों में दिया है। इन चुनावों में भारत के मतदाताओं
ने वयस्क आयु को छुकर भारत के लिए राजनीतिक रूप से एक विकसित देश बनने की शुरूआत
कर दी है। अब आगे देश का सुखद भविष्य गढ़ना बीजेपी के हाथों में है। जय हो
भारत.............. ! धन्यवाद भारत........... !
आर्थिक तौर पर प्राचीन काल में सोने की चिड़िया
रहा भारत...........। सबकों फूलने-फलने का अवसर देकर। उनकों आत्मसात करने की
विशेषता के चलते। भारत विश्व गुरू रहा है। विश्व बंधुत्व हिन्दुस्तान की मूल आत्मा
रही है। इन चुनावों के बाद जाने-माने भविष्यवेत्ताओं की वो भविष्यवाणी पूरी होने
की संभावनाएं खुल गई है। जिसमें कहा गया है भारत 21वीं सदीं में विश्व गुरू बनकर
संसार का मार्गदर्शन करेगा। मतदाताओं ने भी अब की बार देश की बागडौर भारत को पुन: विश्व गुरू बनाकर वृहत्तर भारत का सपना दिखाया है। देश की
आशा तभी आगे बढ़ेगी। जब देश का मतदाता आगे भी देश के आम चुनावों में किसी एक दल को
स्पष्ट बहुमत देगा। देश का मतदाता स्थिर तार्किक बना रहेगा, डावाडोल नहीं होगा। फिर
एक बार जय हो मतदाता.......... ! जय हो भारत ........... ! जय हो नमो भारत ......... !
(इदम् राष्ट्राय स्वा: , इदम् राष्ट्राय, इदम् न
मम्)