विचारधारा को समृद्ध बनाने और बचाने की होड़
1.
14 से 19 नवम्बर तक देश
में चलेगा स्वच्छता अभियान
2.
17 और 18 नवम्बर को पंडित
जवाहरलाल नेहरू की उपलब्धियों पर अंतर-राष्ट्रीय सेमिनार
3. समग्र सफाई केवल हमारे
आसपास या राजनीति सहित पूरे सार्वजनिक जीवन की
4. समग्र सफाई अभियान के बहाने
राजनीति तो नहीं ?
5. स्वतंत्रता आंदोलन की
अगुवाई करने वाला दल कांग्रेस तिलमिलाया
15 अगस्त 2014 को, पूर्ण बहुमत वाली भारतीय जनता
पार्टी की पहली सरकार के प्रधान मंत्री ने नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर
से देश में समग्र स्वच्छता अभियान चलाने की महत्वाकांक्षी योजना की शुरूआत की। स्वच्छता पसंद और उसे अपने
व्यावहारिक जीवन में उतारने वाले हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिन 2
अक्टूबर से समग्र स्वच्छता अभियान की शुरूआत कर नरेन्द्र मोदी ने देश का दिल जीत
लिया। उन्होंने क्लीन इंडिया का नारा देकर अपनी राजनीतिक इच्छा शक्ति जन-जन के
सामने जाहिर की।
जन-जन की भागीदारी वाली इस योजना का भावी हश्र जो
भी हो, लेकिन योजना शुरूआती दौर में सांकेतिक तौर पर ही सही पर चल बड़े जोर-शोर से
रही है। लोगों में प्रतिस्पर्धात्मक उत्साह और उमंग देखने को मिल रहा है।
जनता की
नाराजगी का डर सताने के कारण सभी राजनीतिक दल इसमें शामिल हो रहे हैं। लोग भी
समय-समय पर इन राजनीतिक पार्टियों के साथ भागीदारी कर रहे हैं। भले ही प्रधान
मंत्री के ध्यान से ओझल होते ही सफाई अभियान को राजनीतिक कार्यकर्ता और दोनों ही
भूल जाते हैं। सफाई अभियान देश में अभी उच्चतम और निम्नतम स्तर के ग्राफ से चल रहा
है। इन सब व्यावहारिक कठिनाइयों के बावजूद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी अपने
व्यस्तम समय में से कुछ समय निकालकर विशेष समयों पर देश में सफाई अभियान में भाग
ले रहे है। प्रधान मंत्री के इन कदमों से लोगों में सफाई के प्रति जागरूकता का
संचार हो रहा है। प्रधान मंत्री के बार-बार आव्हान का देश के जनमानस पर गहरा असर
हो रहा है। फिर भी, देश में समग्र स्वच्छता अभियान तब तक सफल नहीं हो जब तक लोग
उसे व्यक्तिगत नैतिक दायित्व न बना लें। बस एक यही काम है, जिसे हमारे देश की जनता
को स्वच्छ भारत बनाने के लिए करना है।
अब आधुनिक भारत के निर्माता कहलाने वाले पहले प्रधान
मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती 14 नवम्बर, बाल दिवस से लेकर देश की आयरन
लेडी के नाम से पहचानी जाने वाली पूर्व प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के
जन्म दिन 19 नवम्बर तक देश में सघन स्वच्छता अभियान चलाने का आह्वान किया गया है। इस
समय को बीजेपी के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विशेष तौर पर सफाई अभियान के
लिए चुनने पर देश में बहस चल निकली है। लोग कहने लगे हैं समग्र सफाई के बहाने कहीं ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को विचारधार
विहीन बनाने का प्रयास तो नहीं है ? बीजेपी के पास पहले से ही पंडित दीनदयाल
उपाध्याय का एकात्म मानववाद और पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सांस्कृतिक
राष्ट्रवाद हैं। ऊपर से बीजेपी गांधीवाद को अपने संविधान में शामिल कर विचारधारा
को समृद्ध बनाये हुए है। उचित और तेज कदम
बढ़ाते हुए।
कांग्रेस द्वारा हांसिये पर धकेले हुए, भारतीय बिस्मार्क को बीजेपी ने
राष्ट्रीय सम्मान की मुख्य धारा में लाकर सरदार वल्लभ भाई पटेल की विचारधार को ले
लिया। सबसे पहले बीजेपी ने सरदार पटेल की विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा लागाने की
घोषणा की। फिर देश भर में रन ऑफ युनिटी का आयोजन किया। इसके बाद 31 अक्टूबर 2014
से सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिन को देश भर में एकता दिवस के रूप में मनाना
प्रारम्भ कर दिया। रही बात जयप्रकाश नारायण और उनकी समग्र क्रांति की तो बीजेपी
समय-समय पर लोकनायक की इस विरासत पर के प्रति भी गहरी संवेदना जताती रही है।
वैसे
भी जयप्रकाश नारायण आपातकाल के दौरान बीजेपी की पूर्वगामी भारतीय जनसंघ के
संगी-साथी रहे है। जयप्रकाश नारायण ने इस कठिन समय में देश को एक ओर लोक नेतृत्व
दिया तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने आपातकाल का विरोध करने में सबसे अधिक
बढ़-चढ़कर भागीदारी की है। ऐसे में बीजेपी समग्र क्रांति को अपने दायरे में पूरी
तरह लेकर कभी भी देश के विकास के मार्ग के दर्शन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के
अन्त्योदय के साथ शामिल कर सकती है। भारत की पूरी स्वतंत्रता के लिए सपना देखने
वाले गरम दल के नेता आजाद हिन्द फौज के कमॉण्डर सुभाष चन्द्र बोस को बीजेपी ने नीरस
मन से याद भर करने की जगह राष्ट्र की मुख्य धारा में सम्मान देकर अपना बताना
प्रारंभ कर ही दिया है। देश की स्वतंत्रता में क्रांतिकारियों के योगदान की अनदेखी
सहन नहीं होने के कारण बीजेपी ने अब चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल
जैस अन्य सभी क्रांतिकारियों को भी देश के लिए वंदनीय बनाने का काम करना प्रारंभ
कर दिया हैं। बीजेपी ने अब गांधी और सुभाष की नरम और गरम दोनों विचारधाराओं के साथ
क्रांतिकारी विचारों को भी देश के लिए सामयिक करार दे दिया है।
अब कहा जा रहा है, समग्र स्वच्छता के बहाने
बीजेपी कांग्रेस के इन दोनों बड़े नेताओं पर डोरे डाल रही है। इससे बीजेपी नेहरू
और इंदिरा की विचारधारा पर कब्जा कर कांग्रेस को विचारधारा विहीन बनाना चाहती है। बीजेपी
के इस कदम से कांग्रेस तिलमिला उठी है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पंडित जवाहर
लाल नेहरू के जीवन पर इसी दौरान 17 और 18 अक्टूबर को दो दिवसीय अंतर-राष्ट्रीय सेमिनार
का आयोजन किया है। सेमिनार में देश के सभी विपक्षी दलों के प्रमुखों सहित विश्व के
कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों को बुलाया हैं।
प्रधान मंत्री
नरेन्द्र मोदी को आमंत्रण नहीं दिया गया। इस सम्मेलन में पंडित जवाहर लाल नेहरू के
जीवन की उपलब्धियों को देश के सामने रखा जायेगा। उन्हें प्रचारित किया जायेंगा। नेहरू
के कार्यों पर शोध का रास्ता साफ किया जायेगा। नेहरू - इंदिरा की विरास को नष्ट
करने का आरोप लगा रही कांग्रेस के पास से इन दोनों लोगों को बीजेपी अपनी झोली में
खींच लेती है, तो कांग्रेस के पास विचारधारा के नाम पर ना के बराबर ही बचेगा। बस
आगे खड़ी होगी एक पूर्ण समृद्ध विचारधारा वाली पार्टी बीजेपी। जिसके पास विचारधारा
के नाम पर भेदभाव का कोई आरोप नहीं होगा। बीजेपी विपक्ष को विचाराधारा से ही बेदखल
कर देंगी ? भविष्य अब बीजेपी की तरह विपक्ष के जीवन में आगामी 65 सालों तक सत्ता में आने
का मुंह ताकने का काम देने की तैयारी न कर रहा हो ? ऐसे में सकते में आयी कांग्रेस विचारधारा को बचाने अब अनेक
आयोजन करने लग गई है।
हालांकि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी इस
क्रिटिकल समय में आगामी 20 नवम्बर तक विदेश यात्रा पर है। 17 से 19 नवम्बर तक
चलाये जाने वाले इस समग्र स्वच्छता अभियान को वे अपने साथियों पर छोड़ गये है। नेहरू
के जीवन पर कांग्रेस के द्वारा बुलाया गया ये अंतर-राष्ट्रीय सम्मेलन मोदी के प्रभाव
से शायद दूर रहें। लेकिन नरेन्द्र मोदी अवश्य ही देश में एक विशेष बहस छोड़ विदेश
चले गये है। देश का विचार इसे राजनीतिक विरासत को समृद्ध करने या बचाने की सियासत
मान रहा है ?
(इदम् राष्ट्राय स्वा: , इदम् राष्ट्राय, इदम् न
मम्)