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Friday 19 June 2015

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर दो शब्द



21 जून, 2015

विश्व समुदाय से अनुनय

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर दो शब्द

आज विश्व अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है। प्रतिवर्ष 21 जून को इसे मनाया जायेगा। संयुक्त राष्ट्र संघ के मान्यता देने के बाद पहले ही बार इसमें 192 देश शामिल हो रहे हैं। लंबे समय से सारी दुनियां आलस्य और भागमभाग के कारण स्वास्थ्य के गिरने की रफ्तार तेज होने के कारण एक नये विकल्प की तलाश में थीं। जो इस भौतिक उपभोगवाद की कलह और द्वैष भरी दुनियां में इंद्रियों को नियंत्रण में लेकर,  मानसिक तनाव को दूर करने का सरल और सुगम यंत्र बनकर, जीवन में उत्साह और उमंग का साधन बनें। विश्व, देश, समाज, परिवार और हर व्यक्ति की सुबह प्रभात में उछलतें – कूंदते हो, उसे सूर्य नारायण प्रतिदिन जाग्रत देंखे। प्रकाश बिखेरते समय जिसके पास किसी देश, समाज, धर्म, जाति, नस्ल और जीव को लेकर कोई भेदभाव नहीं हों। सब बराबर का एक ही भाव।
आज सनातन भारत की ये वैदिक धरोहर पूरे संसार की बनने जा रही है। इसे सबने सर्व मानवीय समस्यों के हल के तौर पर मान्यता दी हैं। सब खुले दिल से अपनाने जा रहे हैं। सदियों के अनुसंधान के बाद कसौटियों पर खरी उतरी इस पुरातन तकनीक को दुनियां के हर घर के हर व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन में उतारकर योग को संसार में हर व्यक्ति का सार्वभौमिक कर्तव्य बना देना चाहियें। तभी हम सारी दुनियां के लोग विश्व को मानवीय आकार देने में सफल हो सकते हैं। पूरी दुनियां मुठ्ठी में होने का सपना साकार हो सकता है। योग की ये पुरातन तकनीक हम सबके जीवन में रोजाना एक नया सबेरा ला सकती है। व्यतता के बहाने रोजाना देर से उठकर, चढ़ती दोपहरी का स्वागत करने जन्म ले चुकी नीरस आदत को भगाकर, इस जगत से आलस्य का खात्मा किया जा सकता है।

समाज का हर व्यक्ति कल से अपने जीवन में योग को अपनाकर, अपने और परायों के जीवन में एक नये सूरज का आगाज करेंगां ......... ! इसी आशा के साथ आपका .......... ।
            
 (इदम् राष्ट्राय स्वा:, इदम् राष्ट्राय, इदम् नमम्)