हारिये न हिम्मत, विसारिये
न हरि नाम।
सीताराम, सीताराम, सीताराम
कहियों ।।
जाहि विधि राखे राम, ताहि
विधि रहियों।
होहिये वही वही, जो राम रचि
राखा।
को तर्क करिहिं बढ़ावहि
साखा।।
.......... बालकाण्ड
रामचरित मानस
प्रबल प्रेम के पाले पड़कर,
प्रभु का नियम बदलते देखा।
अपना मान भले टल जाये, भक्त
का मान न टलते देखा।।