मेरे पांच विचार
- देश को चाहिए, एक हिट एंड रन
- युवा एकजुट होकर मारे किक
- अन्ना के आंदोलन की विफलता ने हथेली पर खींची
निराशा की गहरी लकीर
- कामयाबी को चूमती और अधिकार सम्पन्न होती बेटियां
ना छोड़े संस्कारों का दामन
- युवा, गीता पाठ से शुरू करें दिन की शुरूआत
बदलाव से मुक्ति नहीं तो कम से कम भ्रष्टाचार सहमेगा तो जरूर। माहोल तो बनेगा। मौजूदा दलों से तो ऐसी आशा भी करना अपने आपको धोखा देने से कम नहीं है। बेटियां आज हर क्षेत्र में उड़ान भर रही हैं। वे लगातार अधिकार सम्पन्न हो रही हैं। हमारे नेताओं में नारी हितैषी कहलाने की जमकर होड़ लगी हैं। नारी को बराबरी का कानूनी दर्जा देने की इस आपाधापी में। अधिकारों के हस्तांतरण के साथ संस्कारों के दायित्व का ध्यान दिलाने की जोहमत कोई भी नहीं उठा रहा है। अब इस दायित्व को निभाने का भार भी बेटियों के कंधों पर आ गया है। हमें इस बात को नहीं भूलना चाहियें। परिवार एक साइकिल की तरह है। इसका अगला पहिया पुरूष तो पिछला नारी है। दोनों को अगर बराबरी में लगा दिया जाये, तो साइकिल का विकृत रूप सामने आयेगा। और साइकिल का चलना मुश्किल हो जायेगा। पिछला पहिया जब तक अगले के पीछे चलने को राजी नहीं होगा, तब तक साइकिल आगे नहीं बढ़ेगी। और यही वेदों का सत्य है। परिवार कानून या प्रतिस्पर्धा से नहीं चलते। लाइन एक दूसरे के पीछे चलने से बनती है। मान सम्मान, आदर सत्कार से बनती है। कानून अंतिम रूप से परिस्थिती विशेष के लिए होते है। प्रतिस्पर्धा आर्थिक आजीविका मजबूत बनाने के लिए होती है। जब तक अधिकारों के हस्तांतरण के साथ-साथ नारी संस्कारों को हस्तांतरित नहीं किया जाता। तब तक हम कह सकते है कि हम एक अंधकार से निकल कर दूसरे अंधेरे की ओर ही बढ़ रहे हैं।
बिना जीवन दर्शन के जीवन नीरस और दुखों से भरा
होता है। यदि हमें अपना रास्ता पहले से मालूम हो तो राहें आसान हो सकती है। गीता
आत्मा, परमात्मा और प्रकृति में तारतम्य बिठाने का सार है। इसका पाठ करके आप जीवन
को सुलभ बना सकते है। उदार, मानवीय व्यक्तित्व के धनी बन सकते हैं। संयम, निडर
होकर दुखों का सामना कर सकते है। गीती ज्ञान किसी अनहोनी को रोक सकती है। आपके हाथ
बुरा नहीं होने देती। मेरा विचार है, युवाओं को अपने शिक्षा काल में इस श्रेष्ठतम्
जीवन दर्शन को अपने भीतर उतार लेना चाहिए। बस आवश्यकता इस बात की है। प्रति दिन
गीता दो पेज का पाठ करें। लेकिन पूजा के साथ इत्मीनान से। हबड़दबड़ में नहीं। तो
जीवन में किसी प्रकार का भटकाव या संकट पास भी नहीं आयेगा। अगर आयेगा भी तो उससे
आसानी से निपटा जा सकेंगा।
देशवासियों के जीवन में नववर्ष
मंगलमय हो।.......हम सबके जीवन में नये साल का प्रभात उमंग और उस्साह लेकर आये। .........और हमारी रग-रग
को ऊर्जा से भर दें।.......हम सभी हर कदम पर जीवन संघर्ष में विजयी हो।.......इसी मनोकामना के
साथ........!
(
ऊं राष्ट्राय स्वा: , इदम् राष्ट्राय, इदम् न मम् )