Morning Woke Time

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Monday 30 March 2015

मेरी आदर्श राह



टूटे हुए तारों से, फूटे बासंती स्वर ।
पत्थर की छाती में, उग आया नव अंकुर ।।
झरे सब पीले पात, कोयल की कुहक रात ।
प्राची में अरूणिम की रेख, देख पाता हूं ।।
गीत नया गाता हूं ..........

टूटे हुए सपनों की, कौन सुने सिसकी ।
अन्तर चीर व्यथा, पलकों पर ठिठकी ।।
हार नहीं मानूगा, रार नहीं ठानूंगा ।।
काल के कपाल पे, लिखता मिटाता हूं ।
गीत नया गाता हूं .............

   
                 
 ...... महान् चिंतक और कर्मदूत

                   माननीय अटल बिहारी वाजपेयी